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अगर प्रेम को पाना है तो सत्य पथों पर आना होगा।

अगर प्रेम को पाना  है    तो  , सत्य  पथों  पर  आना होगा।
और हृदय में निष्छलता  को, पुण्य मान  अपनाना  होगा।

तुम सोचो क्या  दृश्य    प्रेम   को यहां  कलंकित   करता है।
मन में कपट सहित जिस जन में प्रेम का दीपक जलता है।
प्रेम    भाव  में  दैहिक  तृष्णा   छोड़  वेद  अपनाना   होगा।
अगर प्रेम को पाना  है   तो  ,  सत्य  पथों  पर  आना होगा।

वो दृश्य कलंकित है उर में जो छवि नग्नता की बनती  है।
और   स्वार्थ   में   लीन    रूह     में  रार  हमेशा  ठनती  है।
विकट दृश्य है नव समाज को अब छुटकारा पाना  होगा।
अगर प्रेम को पाना  है   तो  ,  सत्य  पथों  पर आना होगा।

मोल नहीं पाएगी धन दौलत शोहरत  इस  प्रेम  के  आगे।
जिस समाज को लगती बंदिश है उन्नत  ये  प्रेम  के  धागे।
उस समाज को  प्रेम  डोर  के  शुद्ध  बंध  बंधवाना  होगा।
अगर प्रेम को पाना  है   तो  , सत्य पथों पर  आना  होगा।

मैं  गरीब     हूं   मैं    दरिद्र  हूं    तुम   जो  धन  से मापो तो।
किंतु    सबसे   धनवान  यहां हूं निश्छल मन से मापों तो।
मैने जैसे  किया   समर्पण  तुमको  भी  कर  जाना  होगा।
अगर प्रेम को पाना  है   तो  , सत्य  पथों पर  आना होगा।

तुम मधुर पीयुषम की भांति  निर्मल   गंगा  का  पानी हो।
तुम अनंत  आकाश   के    जैसे    अमर्त्य  प्रेम सेनानी हो।
तुमको ही मुझ"दीपक" को भी सूरज सा चमकाना होगा।
अगर प्रेम को पाना  है   तो  , सत्य  पथों पर  आना होगा।

©®दीपक झा "रुद्रा"

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1 Comments

Zeba Islam

06-Dec-2021 10:16 AM

Nice

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